सफलता हासिल करने के लिए कितना मेहनत करें।।

 दुनिया में हर आदमी अपने काम में सफलता हासिल करना चाहता है।और सभी लोग दिन रात इसे हासिल करने के लिए मेहनत कर रहे है।स्टूडेंट,पढ़ाई करने में मेहनत कर रहा है।दुकानदार अपने व्यवसाय में मेहनत कर रहा है।खिलाड़ी ,संगीतकार,अभिनेता,,,सब लोग।आप जिस भी टाइप के लोग देखेंगे,सभी सफलता हासिल करने के लिए मेहनत कर रहें हैं।


         अब सवाल यह उठता है की मेहनत कितना किया जाय और सफलता कितनी हासिल की जाय?कैसे पता चलेगा कि मेहनत पूरा हो गया और सफलता मिल गई।

        जवाब ढूंढना पड़ेगा।बहुत जायज सा सवाल है।बड़ी मासूमियत से यह सवाल एक बच्चा मुझसे कर दिया।कितना मेहनत करु।कब सफलता मिलेगी? 


         मुझे लगता है मंजिल तक पहुंचना सफलता है ।नही पहुंचना असफलता है। तथा मंजिल की प्रकृति के हिसाब से काम करना मेहनत है। इसको दूसरी तरह से समझने का प्रयास करते हैं,,,,अगर लक्ष्य कठिन है तो मेहनत भी कठिन करनी होगी और लक्ष्य आसान है तो उतनी कठिन मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।

        जैसे अगर एक किलो मीटर दूर एक ट्राफी रखा हुआ हो प्रतियोगियों को उठा कर वापस लाना हो तो प्रतियोगियों को कुल 2 किलोमीटर दौड़ना होगा।इसके लिए प्रतियोगी पूरी ताकत लगा कर एक बार में ही दौड़ कर लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।


         परंतु ट्राफी 200 किलो मीटर दूर हो तब,क्या एक ही बार पूरा जोर लगा कर दौड़ने वाला ट्राफी तक जा सकता है? जवाब है नही।इसके लिए कछुए के रफ्तार से लगातार बिना थके बिना रुके चलना होगा।जो खरहे का रफ्तार पकड़ेगा वह तो कहीं का नहीं रहेगा। ट्राफी तक पहुंचने के लिए लगातार और लम्बी मेहनत करनी होगी।


         अब ये तो समझ में आ गया की जैसा लक्ष्य होता है वैसा मेहनत करना पड़ता है। बड़ा लक्ष्य के लिए बड़ी मेहनत छोटा लक्ष्य के लिए छोटी मेहनत।

         इसलिए लक्ष्य निर्धारित कीजिए मेहनत कीजिए और सफलता हासिल कीजिए।

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