जो मनुष्य जन्म लिया है,उसकी मृत्य अटल सत्य है।एक न एक दिन मनुष्य को मरना ही होता है।आज मैं अपने अनुभव के आधार पर पर बताने की कोशिश कर रहा हूं की मनुष्य मरने के कुछ दिनों पहले से कैसा महसूस करता है।
उम्र का अंतिम पड़ाव,,,
मनुष्य के मरने के बहुत से कारण है।जैसे एक्सीडेंट,बीमारी,हार्ड अटैक,आत्म हत्या बुढ़ापा इत्यादि।हम उन लोगों की बात करेंगे जो अपनी पूरी उम्र जीने के बाद बूढ़े होकर मरते हैं।
पहला वाकया
मेरेपिताजी रिटायर होने के बाद 26 साल तक जीवित रहे । इस बीच कई बार बीमार पड़े । कई बार हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा।रूटीन दवाइयां हमेशा चलता रहा। एक वाकया मैं बताना जरूरी समझता हूं।
उस समय उनकी उम्र 84 साल की थी।एक रात उन्होंने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा की देखो ना मेरे रूम में छोटे छोटे कीड़े चल रहें हैं पूरा दीवाल कीड़ों से ढका हुआ है। मैं उनके रूम में देखा । लाइट जल रही थी ।पूरा दीवाल साफ था। कही कोई कीड़ा दिखाई नहीं दे रहा था।उनके अनुसार पूरा दीवाल कीड़ों से काला पड़ गया था।और वे कीड़े रेंग रहें थे।
मैने उनको अपने तरीके से समझने की कोशिश कि की दीवाल पर कोई कीड़ा नहीं चल रहा है। पर वे मान नहीं रहे थे।उन्हे कीड़े दिख रहें थे।
दूसरा वाकया
उसी रात 10 बजे के करीब वे बाथरूम गए बाथरूम से निकलने के बाद नीचे जमीन पर इशारा कर के बोले" यहां छोटे छोटे झाड़ियों के जैसे पौधे हैं और बहुत जोर जोर से हिल रहे हैं। मैने देखा वहां कोई पौधे नहीं थे।
तीसरा वाकया
वैसे जब से इस तरह की बाते वे करने लगे थें,तबसे हमेशा मैं उनपर नजर रखने लगा था।दूसरे दिन रात में खाना खाने के बाद वे अपने बिस्तर पर सोने गए दस पंद्रह मिनट के लिए वे अकेले रहें। जब मैं उनके पास आया तो वे बोलें की अभी अभी एक आदमी मेरे पास आया ।वह अपने मुंह से बड़ा बड़ा गोला निकाल कर फर्श पर इकट्ठा कर दिया ।फिर निगल गया। मुझे उनकी चिंता होने लगी।क्योंकि वे नींद में नहीं थें । दूसरे दिन मैं मेडिकल कॉलेज के एक बड़े डॉक्टर के पास दिखाया जिनसे पहले भी उनका इलाज होता था।
डाक्टर ने बताया
बहुत सारे टेस्ट होने के बाद डॉक्टर ने बताया इनका सोडियम लेबल डाउन हो गया है ।शरीर में सोडियम कम होने से लोग पागलपन जैसे हरकत करने लगते है।
दो दिन हॉस्पिटल में पिताजी भर्ती रहे । सोडियम का बोतल चढ़ाया गया।पूरी तरह ठीक हो गए। डॉक्टर ने बताया बूढ़े लोगों में सोडियम का लेबल कम हो जाता है।डाक्टर के सलाह के अनुसार उनको खाने में नमक कुछ ज्यादा दिया जाने लगा।खाली कैप्सूल में नमक भर कर तीन टाईम दिया जाने लगा इस तरह वे पूरी तरह ठीक हो गए।
सोडियम की मात्रा कम होना
छः सात महीने पर कभी कभी सोडियम लेबल उनका कम हो जाता था । इसका पहचान यह था की उनके कानों में आवाज सुनाई पड़ने लगती थी,जैसे मोटर चल रहा हो।उन्हें उनके साथ रहने वाले जैसे माता पिता दोस्त मामा,नाना यानी जो मर गए थे, वे ज्यादा याद आते थें। कई मौकों पर तो मेरी पत्नी को बिठा कर उनकी बातें करके खूब रोते थे। कभी कभी तो उनके पूर्वज उन्हे दिखते थें।
और जब सोडियम लेबल उनका ठीक हो जाता था तो ओ नार्मल हो जाते थें।
इसके क्या मायने
आज मेरे पिताजी इस दुनियां में नहीं है। लेकिन कई बुजुर्ग लोगों के अंतिम समय में मुझे सेवा करने का अवसर मिला है मेरे दादा जी, मेरी मां ,गांवों में रहने के कारण लोग एक दूसरे के दुख सुख में शामिल होते है। कई दूसरे लोगों के भी मृत्यु के नजदीक का समय मैने देखा है।
लगभग सभी बुजुर्ग मरने वाले लोगो का अनुभव एक समान ही मिलता जुलता देखा हूं।सभी लोगों के पूर्वज जो उस समय जीवित नहीं थे , वे उन्हे ज्यादा याद आते थे। वे उन्हें देखने का दावा करते थें। उनकी बाते वे करते थें। मृत्यु के कुछ महीने पहले से ही वो लोग मृत लोगों के ख्यालों में खोए रहते थें।
ऐसा क्यू होता है
मेरे पिताजी के अनुभव के आधार पर ,मुझे ऐसा लगता है की सोडियम के कमी के चलते लगभग सभी उम्र दराज लोग ऐसी हरकत करने लग जाते है।या फिर , मृत लोगों का दिखना मृत्य का इशारा है।
आपको क्या लगता है ?
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