छठ पूजा का इतिहास बहुत ही पुराना है। आज हम बहुत ही उमंग और उत्साह के साथ छठ माता का कठिन व्रत करते है। चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व युगों युगों से होता चला आ रहा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा की कई पौराणिक कथाओं में छठ व्रत का उल्लेख मिलता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रियबंद एक राजा थे। उनको एक मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था। वे छठ माता का व्रत किए। छठ माता के आशीर्वाद से उनका मरा हुआ बच्चा जिंदा हो गया था।
द्रौपदी ने छठ व्रत किया था
पांडवो की पत्नी द्रौपदी ने भी छठ व्रत किया था। मान्यता है की द्रौपदी के छठ व्रत करने से ही पांडवो की महाभारत में विजय हुई थी। छठ माता के आशीर्वाद से ही पांडवो का खोया हुआ राज्य पुन: प्राप्त हो गया था।
दानवीर कर्ण ने किया था छठ व्रत
दानवीर कर्ण सूर्य देवता का बहुत बड़ा भक्त था। वह रोज सूर्य देवता को अर्ध्य देता था। मान्यता है की दानवीर कर्ण ने छठ माता का व्रत किया था।
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माता सीता ने छठ व्रत किया था
मान्यता है की रावण बध के पश्चात् भगवान श्री राम माता सीता अपने छोटे भाई लक्ष्मण , महावीर हनुमान आदि अपने मित्रों के साथ अयोध्या आए। अयोध्या में माता सीता ने छठ व्रत क्रिया था। रामराज्य कि स्थापना और पुत्र रत्न की प्राप्ति हेतु माता सीता ने छठ व्रत किया। मान्यता है की छठ माता की कृपा से माता सीता को दो पुत्र लव तथा कुश पैदा हुए थे।
छठ व्रत की टाइमिंग
मुख्य रूप से हमे माता सीता ने छठ व्रत किया था ये जानना है। इस बात को समझने के लिए रामायण के घटनाओं को थोड़ा पीछे से देखना होगा। आइए नवरात्र के टाइम से हम समझने का प्रयास करते हैं।
माता दुर्गा की आराधना
अश्विन शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन शारदीय नवरात्र का प्रारंभ होता है। जो नौ दिनों तक चलता है। मान्यता है की भगवान राम नवरात्र में नौ दिनों तक भगवती मां दुर्गा की आराधना किए थे। शक्ति की उपासना के पश्चात मां दुर्गा से आशीर्वाद लेकर दसवें दिन भगवान राम ने रावण का बध किया था,जो हमलोग विजय दशमी के रूप में मनाते हैं।
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अयोध्या में भगवान राम का आगमन
लगभग 20 दिनों के बाद भगवान श्री राम अश्विन मास के अमावस्या को अयोध्या पहुंचते हैं। उनके आने की खुशी में पूरे अयोध्या के लोग अपने घरों को सजाते है। दीपों से पूरे अयोध्या को रौशन करते हैं। खुशी जाहिर करने के लिए पटाखे छोड़ते हैं। आज भी हम इसी दिन को उसी समय से भगवान श्री राम के अयोध्या आगमन के यादगार में दिवाली मनाते आ रहें है।
छठ पूजा
दिवाली के बाद मात्र सातवें दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि को छठ व्रत पड़ता है। ये समझना आसान हो जाता है की दुर्गा पूजा दिवाली और छठ पूजा क्रमश: पड़ने का संबंध, रामायण काल से और भगवान राम तथा माता सीता से जुड़ा हुआ है। इसलिए ऐसा माना जाता है की माता सीता ने छठ व्रत किया था।
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