Kharid lijiye garam kapade. Es sal padegi kadake ki thandh, janiye kyo ?

 जी हां सही सुना आपने। इस साल पिछले दो सालों की तुलना में ज्यादा ठंढ पड़ेगी। मौसम विभाग के अनुसार भारत में एक साथ दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस सक्रिय हो गए हैं। जिसके कारण देश के 10 राज्यों में कड़ाके की ठंढ़ पड़ेगी।


अधिक बारिश से ठंढ़ का कोई संबंध नहीं है

मौसम विभाग के अनुसार बहुत ज्यादा बारिश होने से ठंढ़ का कोई लेना देना नहीं है। बहुत से लोग समझते है की ज्यादा बारिश होती है तो ठंढ़ा भी ज्यादा पड़ता है। किंतु ऐसा नहीं है। इस साल मानसून के बाद भी लगभग 65% अधिक बारिश हुई है। परंतु ठंढ ज्यादा पड़ने का ये कारण नहीं है।

सुबह शाम ठंढी होगी ज्यादा

मौसम विभाग के अनुसार एक दो सप्ताह के बाद सुबह और शाम को ठंढ़ी ज्यादा पड़ेगी। उत्तर भारत में कोहरा और धुंध रहेगा। मध्य भारत में आसमान साफ रहेगा। जिसके कारण सुबह शाम में ठंडा ज्यादा पड़ेगा। दक्षिण के राज्यों में मानसून सक्रिय हो सकता है। संभावना है की ये मानसून दिसंबर तक रहे।

पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद ज्यादा ठंढ

मौसम विभाग का अनुमान है की 6 नवंबर के बाद ज्यादा ठंढ पड़ेगा। पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद उत्तर पश्चिम हवाएं बर्फीली इलाकों से गुजरते हुए मध्य भारत तक आएंगी। जिससे सर्दी बढ़ जाएगी। दिन में भी ठिठुरन का अहसास होगा।

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इस तरह बढ़ेगी ठंडी

अब धीरे धीरे सूर्य की गर्मी कम होने लगेगी। पारा गिरने लगेगा। दिल्ली और उत्तरप्रदेश समेत पूरे उत्तर भारत में धुंध तथा कोहरा सर्दी का अहसास कराएंगे। हाथ पैर में सुबह शाम ठिठुरन होगा। पूर्वोत्तर के राज्यों में मौसम शुष्क होगा। दिसंबर के दूसरे सप्ताह से फरवरी तक कड़ाके की ठंढ पड़ सकती है।

ला नीना का प्रभाव रहेगा

ला नीना के प्रभाव के कारण इस बार ठंढी ज्यादा पड़ेगी। ला नीना का अर्थ स्पेनिश भाषा में छोटी बच्ची होता है। ला नीना के प्रभाव से प्रशांत महासागर में तेज हवाएं चलती है। सर्द हवाएं उत्तरी गोलार्ध से चलकर पूरे उत्तर भारत को अपने चपेट में ले सकती है। जिसके कारण कड़ाके की ठंढी पड़ने की संभावना है।

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