क्या आपको भी अपनी नौकरी पसंद नही है ? Kya aapko bhi apni naukari pasand nahi hai ?

 एक गाने का बोल है " जिसको चाहा उसे अपना ना सकें,जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई "।

     आप सोचिएगा ये गाना मैं आपको क्यों सुना रहा हु? इस गाने में जिंदगी की एक ऐसी हकीकत छुपी हुई है जो सब के ऊपर लागू होती है । हर फील्ड में लागू होती है। आइए बताते है।

जॉब करने वाले

    जो लोग जॉब में हैं वह अपने जॉब से संतुष्ट नहीं है। जो जॉब उन्हें रोजी रोटी दे रहा है। उनकी आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है। उनके जीने का सहारा है। वे अपने उस जॉब को अपना नही पा रहें है। किसी दूसरे के जॉब से उनको मुहब्बत है। अपने जॉब से अच्छा दूसरे के जॉब को समझ रहें है।

       मैं ऐसे बहुत सारे लोगों से मिलता हूं । जो एक अदद नौकरी के लिए तरस रहे है। कितना एक्जाम दिए, कितना कंपटीशन दिए, कितना इंटरव्यू दिए लेकिन नौकरी नही मिली। उनका एक ही सपना होता है की चाहे जैसे भी हो जहां भी हो एक नौकरी मिल जाती।


नौकरी पसंद नही

         कुछ ऐसे भाग्यशाली लोगो से भी मिलता हूं जिनके पास कई ज्वाइनिंग लेटर आ जाते है। वे तय नहीं कर पाते है की कहां नौकरी करें। आखिरकार कोई एक नौकरी ज्वाइन कर लेते है।

       समस्या वैसे लोगों के साथ हैजो चाहते कुछ और थे हो कुछ और गया। जो चाहे वह मिला नही ,जो मिला वह पसंद नही। नौकरी से कुढ़ रहे है । शिकायत किए जा रहे है साथ ही नौकरी भी किए जा रहे है।

क्या कभी सोचे है? दुनियां में ऐसे कितने लोग है जिन्हे अपनी पसंद की कोई भी वस्तु मिली हो? शायद बहुत कम। नौकरी के मामले में तो और भी कम। अगर पसंद का मिला भी तो कुछ समय के बाद उनका मोह भंग हो गया। समय के साथ अपनी नौकरी उन्हे बोरिंग लगने लगी । निरश लगने लगी। पैसा कम दिखने लगा।

दूसरे की नौकरी ज्यादा पसंद

     दूसरे की नौकरी इंटरेस्टेड लगने लगती है। दूसरे नौकरी में ज्यादा तनख्वाह तथा आराम का काम नजर आने लगता है। ऐसा लगने लगता है की अब ये काम करना नामुमकिन है। एक घुटन सी महसूस होने लगती है। लेकिन घर की परेशानी तथा नौकरी छुटने का डर फिर से वही नौकरी करने को मजबूर कर देती है।

       जो मास्टर है, वह कुढ़ रहा होता है। अपनी नौकरी उसे बेकार लगती है। उसे लगता है ऑफिशियल जॉब अच्छा है। जो ऑफिस में है उसे अपना जॉब बेकार लगता है। फाइलों का पुलिंदा और दिन रात फाइलों में उलझे रहना। वह सोचता है की टीचर का जॉब कितना अच्छा है।

      इसी तरह जो डॉक्टर है उसे इंजीनियर का काम अच्छा लगता है तो जो इंजीनियर है उसे डॉक्टर का काम। जो टेक्नीशियन हैं उन्हें लिखने पढ़ने का काम अच्छा लगता है,तो जो लिखने पढ़ने के काम में है उन्हें टेक्नीशियन का काम अच्छा लगता है।

        जो किसान है वह खेती नहीं करना चाहता है। जो मजदूर है वह मजबूरी में है। जो बिसनेस कर रहा है उसे अपना काम बोरिंग लगता है। स्टूडेंट है तो पढ़ना नहीं चाहता है। उसे पढ़ाई कठिन लगती है और दुनियां का सारा काम आसान।

     अजीब बात है काम तो सभी किए जा रहें है लेकिन बे मन के। मन किसी दूसरे काम में लगा रहता है। किसी दूसरे काम के आकर्षण में डूबा रहता है। कहावत चरितार्थ है की " दूर का ढोल सुआवन लागे "।

मनपसंद नौकरी भी नापसंद

     कुछ ऐसे लोग भी हमको मिले जो अपना पिछला काम छोड़कर मनपसंद जॉब पकड़ लिए। नया नौकरी मनपसंद लोकेशन खूब एंजॉय किए। लेकिन चंचल मन का क्या करते? कुछ दिनों के बाद वह काम भी उनको बेकार लगने लगा। नई नौकरी से भी मन ऊब गया। वह काम छोड़कर भी नही जा सकते। मन मारकर काम कर रहें है और काम की शिकायत भी। अब वैसे लोगों से हम पूछना चाहेंगे की जब आपको मनपसंद नौकरी मिल गई तो फिर कुछ वर्षों बाद वही नौकरी नापसंद क्यों हो गई?


मन को भटकाव से बचाए

     दोस्तों,ये होसकता है,की जो नौकरी आपको मिली वह आपको पसंद नहीं हो। जो नौकरी आपको पसंद हो वह मिली नहीं। ये पसंद नापसंद का जो खेल है न बहुत ही निराला है। कब पसंद नापसंद में बदल जायेगा ये आपको पता भी नही चलेगा। ये मन बहुत चंचल होता है। इसको काबू में करना होता है। जो लोग मन को काबू में नहीं रखते है वह जीवन भर पसंद ना पसंद के चक्कर में भटकते रहते है। पसंदीदा चीज भी कब नापसंद हो जाय कहना मुश्किल है। मन को भटकाव से बचना चाहिए।

अपनी वर्तमान नौकरी से प्रेम कीजिए

    आप अपनी नौकरी में मन लगाइए। अपनी नौकरी से प्रेम कीजिए। अपनी नौकरी को सर्वोत्तम नौकरी समझिए।उसी को इंजॉय कीजिए। आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा।

      जानते है व्यक्ति का काम ही उसका पहचान होता है।उसी काम के बदौलत उसे इज्जत मिलती है। काम के कारण ही समाज में उसे प्रतिष्ठा मिलती है। अपना काम छोड़कर देखिए । समाज में आपको कोई प्रतिष्ठा नही मिलेगी। कोई आपको नही पूछेगा। समाज में जाति पाती रंग रूप से इज्जत नहीं मिलती है । काम से इज्जत मिलती है।

     इसलिए मृगतृष्णा में भटकने से अच्छा है अपने काम में मन लगाइए।वर्तमान नौकरी से संतुष्ट रहिए और एंजॉय कीजिए।

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