एक ब्लॉग में कितने विषय
आज हम बात करेंगे की एक ब्लॉग में क्या अलग अलग विषयों में ब्लॉग लिखे जा सकते हैं की नहीं ।
सामान्यत: ये मान्यता है की ब्लॉग एक ही विषय पर लिखा जाय। अगर बहुत सारे विषयो को एक ब्लॉग में डाल दिया जाय तो ब्लॉग कूड़ेदान में बदल जाता है। ये मान्यता कितना सही है या गलत है ,लोग इसके बारे में क्या सोचते है ये मैं नहीं बता सकता हु ।ये आपको तय करना है।
एक लेखक क्या लिखना चाहता है
आप नए या पुराने लेखक है।अगर सही मायने में आप लेखक है तो आप हमारी बातों को अच्छे से समझ पाएंगे। एक लेखक कब क्या लिखेगा उसे खुद भी पता नहीं होता है। क्या आप जानते है कि लेखक जब लिखना शुरू करता है तो स्वत: उसके दिमाद में बातें आती चली जाती है और कलम चलता रहता है। अगर किसी कारण बस लिखने के समय व्यवधान आ जाय और वह लिखना बंद कर दे,तो दो चार घंटे बाद या दूसरे दिन उसी टॉपिक का बचा हुआ हिस्सा लिखना शुरू करे तो इसके विचार बदल गए होते है। उसकी लेखनी फर्स्ट टाइम के तर्कों और उपमाओं से बिलकुल भिन्न हो चुका होता है। चुकी लेखक अपनी बातों और भावनाओं को व्यक्त तो जरूर कर देता है लेकिन सिर्फ उसे पता होता है की वह फर्स्ट टाइम कुछ और लिख रहा होता है तथा सेकंड टाइम कुछ और लिख देता है। सिर्फ उसे पता होता है की वह फर्स्ट टाइम जो लिखना चाहता था सेकंड टाइम इन बातो को वह नही लिख रहा था बल्कि कुछ और लिख रहा था।
लेखक की लेखनी सभी विषय पर चलती है
ये तो हुई एक ही विषय में पूरा लेख लिखने के संदर्भ मे। अब दूसरी बात,एक लेखक कब किस बात से एंप्रेश हो जाय और अपने आप उसकी लेखनी चलने लगे ये उसे भी नहीं पता होता है। कभी वह सामाजिक विषय के तरफ आकर्षित हो सकता है ,कभी टेक्नोलॉजी के तरफ। तो कभी खेल के तरफ तो कभी फाइनेंस के तरफ। कभी प्रेम की तरफ तो कभी बिरह की तरफ। एक लेखक ही समझ सकता है की जितना उसे फैशन आपर्षित कर सकता है,उतना ही गरीबी भी। जितना वह शिक्षा पर लिख सकता है उतना ही स्वास्थ्य पर। राजनीति हो,स्त्री पुरुष के संबंध हो,बच्चो का स्वभाव हो,कविता हो कहानियां हो चाहे जो भी विषय हो,एक लेखक की पकड़ से दूर नहीं है। कब कलम किस ओर घूम जाय कहना मुश्किल है।
लेखनी को रोकना संभव नहीं
क्या आप हवाओ को बहाने से रोक सकते है ? क्या आप सूर्य की किरणों को बांध सकते है ? क्या आप खुशबू को महकने से रोक सकते है ? अगर नहीं तो लेखक की लेखनी को आप कैसे रोक पाएंगे ? कैसे एक ही दिशा में लिखने की उम्मीद कर सकते है ? कैसे एक ही विषय में लिखने की कल्पना कर सकते हैं।
राजा राधिका रमण प्रसाद ने लिखा है " चमन में फूल खिलते हैं बन में हंसते है " । मतलब यह की माली के देख रेख में जो फूल होते हैं वह खिल तो जाते है लेकिन बन के फूल की जो चमक होती है वह अद्भुत होती है। वह हंसते रहते हैं।
ब्लॉग एक खूबसूरत घर के समान
इस बात को दूसरे तरीके से समझने का प्रयास करते है। मान लेते है की ब्लॉग आपका एक मकान है। मकान में कई कमरे होते हैं। उसमे जरूरत का सब सामान होता है।फर्नीचर होता है। इलेक्ट्रॉनिक्स का समान होता है। पेंटिंग होता है। पर्दा होता है । और भी बहुत समान होता है। घर में भिन्न भिन्न मत के लोग होते हैं। उनके पसंद के समान होते हैं। क्या सिर्फ फर्नीचर से घर का काम चल जाएगा ? क्या सिर्फ पेंटिंग से एक घर ,घर कहलाएगा ? नहीं ,।
कई विषयो पर लिखना ब्लॉग की खुबसूरती
ब्लॉग भी ठीक ऐसा ही है। किसी लेखक से एक ही विषय में लिखने की उम्मीद करना लेखक के साथ ज्यादती होगी। मैं समझता हूं लेखक को जो भी पसंद हो लिखना चाहिए। जिस विषय में लिखना चाहता है लिखना चाहिए। हां,जब लेखों की संख्या ज्यादा हो जाय तो उसे कटेगरी में बांट देना चाहिए। राजनीति,टेक्नोलॉजी,साहित्य,सामाजिक विषय आदि।
निष्कर्ष
अगर एक ही विषय में लेखक लिखता रहा तो उसके लेखनी को खाद पानी कहा से मिलेगा। उसके लेखनी की भूमि बंजर हो जायेगी । उसके ब्लॉग रूपी घर में अकाल पड़ जाएगा। और लेखक बे मौत मारा जायेगा। बहुत सारे विषयो के होने से उसका ब्लॉग कूड़ा दान नहीं बल्कि सभी सामानों से सुसज्जित एक खूबसूरत मकान होगा।
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