क्या आपका भी बच्चा जिद करता है।।kya aapka bhi bachha jid karta hai?

 बच्चा जिद करता है। रोता है चिल्लाता है। खिलौने का जिद,नए कपड़े का जिद ,नही पढ़ने की जिद मनपसंद काम करने की जिद। और आप परेशान है। समझ में नही आता की क्या करें।

जिद में खीझ

    माता पिता उसके जिद से इतने खीझ जाते है,इतने तंग आ जाते हैं की उसे पीटने लगते है । बार बार हर बार बच्चे की पिटाई होती है । ना बच्चा जिद छोड़ता है। ना माता पिता उसपर चीखना चिल्लाना छोड़ते हैं,ना ही पिटना छोड़ते है। इसी स्थिति में बच्चा बड़ा होता जाता है। और जिद्दी तथा उदंड।


मार खाने का डर

      जो बच्चा रोज मार खाता है पिता के हाथों ,उसे मार का कितना डर होता है ये मैंने देखा है। मेरे पड़ोसी का बच्चा रोज मार खाता है। कभी किसी बात पर,तो कभी किसी बात पर। उस दिन दोपहर के वक्त वह आम के पेड़ के नीचे था। गिरा हुआ आम बिन रहा था। तभी उसके पिताजी देख लिए। ओ उसपर चिल्लाए। वह भी गुर्रा कर बोला "नही आऊंगा"। उसके पिताजी मारने के लिए दौड़े । लड़का भाग गया। कछ देर बाद मैंने लड़के से पूछा कि "घर जाओगे तो तुम्हारे पिताजी बहुत मारेंगे"। वह लड़का बोला "क्या जान नही न मार देंगे,उतना तो रोज मार खाता हूं"।

      यही होता है। बच्चे के मन से मार खाने का डर समाप्त हो जाता है उसका सुधारना मुस्कील।


कौन जिद्दी है

        मेरे नजरिए से देखिए,जिद्दी कौन है?अगर एक बच्चा खिलौने की जिद करता है,नए कपड़े की जिद करता है,नही पढ़ने की जिद करता हैं और भी जो काम उसको पसंद है उसका जिद करता है,तो क्या बुरा करता है कौन सा गुनाह करता है?

         ये जिद तो आप भी करते है। हम सब करते है। बेशक हम खिलौने की जिद नही करते ।लेकिन जो काम हमे पसंद होता है उसे करना चाहते है। जो चीज समान हमे अच्छा लगता है वह हासिल करना चाहते है। उसके लिए ही हम मेहनत करते है। जब तक हासिल नहीं कर लेते है तब तक मन नहीं लगता है। बेचैन रहते हैं। यही तो जिद है।


पसंद अलग 

       अंतर यह है की दोनो का पसंद अलग है ।हमे गाड़ी लेना पसंद है बंगला लेना पसंद है। वह बच्चा है उसका पसंद खिलौना है ,कपड़ा है । बचपन में खेलना सबको पसंद आता है। पढ़ने का मन किसी का नही करता है। वही तो बच्चा कर रहा है। वह तो अपना बाल सुलभ व्यवहार कर रहा है।

तरीका अलग

      बड़े जिद करते है तो उनका जिद करने का तरीका और वस्तु हासिल करने का तरीका अलग होता है। बच्चों का तरीका अलग होता है। वह भी मनपसंद काम करना चाहता है। मनपसंद वस्तु हासिल करना चाहता है। लेकिन उसका तरीका बच्चो जैसा रहता है। बड़ो का तरीका बड़ों जैसा।


दिमाग से निकालिए

     सुधारना बच्चो को नहीं ,सुधरना आपको है। भूल जाइए की आपका बच्चा जिद करता है। ये समझिए की ओ बाल सुलभ व्यवहार करता है। इसके लिए आप झल्लाना चिल्लाना उसको मरना पिटना बंद कर दीजिए।

जायज जिद पूरी कीजिए

     बच्चे का जो जायज जिद है उसे पूरा कीजिए।उससे भरपूर प्यार कीजिए। खूब बातें कीजिए ताकि कुछ भी आपसे कह सके। उसके मन में आपका भय नहीं होना चाहिए।आप देखिएगा,एक समय आएगा की आपको लालसा होगी की मेरा बच्चा मुझसे कुछ मांगे। कुछ जिद करे। एक दिन वह आपका इच्छा पूरा करेगा और आपको जिद भी नहीं करना पड़ेगा।

     

       

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