आप किसी न किसी दुकान पर आवश्य पढ़े होंगे।"उधार प्रेम की कैंची है" । "कृपया उधार मांग कर शर्मिंदा ना करें".। या "आज नकद कल उधार"।
इस तरह के स्लोगन दुकानों पर लिखे हुए मिल जाते हैं।
तो क्या इससे उधार लेना और देना बंद हो जाता है? क्या लोग उधार मांगना छोड़ देते है? आइए उन कारणों पर नजर डालते है जिससे उधार लेने की जरूरत पड़ती है।
पेमेंट उठाने वाले लोग
जो लोग मंथली पेमेंट उठाते है। उनके पास महीने के अंतिम दिन पेमेंट मिलता है। या अगले महीने के दस तारीख के अंदर पेमेंट मिलता है। मैक्सिमम लोग मंथली पेमेंट उठाने वाले की आदत बन जाती है। वे एक महीने तक राशन, दूध, सब्जी,कपड़ा,आदि दुकानों से खरीदते हैं। दुकानदार उनका हिसाब खाता पर लिखता रहता है। जब उनका पेमेंट मिलता है तब, सभी दुकानदारों का हिसाब कर के वे पैसा दे देते है। फिर अगले महीने से इसी तरह शिलशिला उनका चलता रहता है। इस तरह के उधारी में दुकानदार को भी कोई परेशानी नहीं होती है। उसे भी एक मुस्त पैसा मिल जाता है। दुकानदार को पता होता है की उसका पैसा डूबने वाला नही है। महीने के अंतिम दिन उसे पूरा पैसा मिल जाता है। इसलिए खुशी खुशी वह एक महीने तक समान देता है।
गांव की उधारी
इसी तरह गांवो में भी उधारी चलता है। गांव में रहने वाले वैसे लोग जिनके परिवार का कोई व्यक्ति बाहर काम करता है। वह पैसे कमा कर गांव में अपने घर भेजता है। वह भी महीने में एक बार अपने घर पर पैसे भेजता है। इधर उसके घर के लोग दुकानों से अपनी आवश्यकता के समान लेते रहते हैं। यहां तक की खेत की जुताई, बुवाई, बीज, खाद उधार लेकर ही करते हैं। जब उनके हाथ में पैसा आता है,तब वे जितना काम उधार में किए रहते है उसका पैसा दे देते है। यहां भी दुकानदार खुशी से उनको समान देता है।उसे पता होता है की पैसा नही फंसेगा ।
नगद मांगने वाले
ये तीसरे तरह के उधारी वाले लोग होते है। इनके पास आय का कोई निश्चित श्रोत नही होता है। इनको जब कोई आवश्यकता होती है तो ये अपने परिचितों से पैसा मांगते है। ये अलग बात है की कोई इन्हें पैसा देना नहीं चाहता है। ये कई लोगों के पास पैसा मांगने जाते है। अगर कोई पैसा इन्हें दे देता है तो फिर उसका पैसा निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे लोग भरसक उधार देने वाले के सामने आने से बचते है। सामना होने पर अपनी परेशानी बता कर अगला डेट ले लेते है। हर बार ऐसे ही टालते रहते हैं । कई बार मांगने के बाद बड़ी मुश्किल से पैसा देते है। वैसे इनका इरादा ऐसा नहीं होता है की किसी का उधार लिया हुआ पैसा ना दें। लेकिन गरीबी के कारण ये मजबूर होते है। निश्चित आय का साधन नहीं होने के कारण ये समय से किसी का लिया हुआ पैसा नही दे पाते हैं।
साहूकारों से उधारी
कुछ लोग उधारी के चक्कर में सेठ साहूकारों के चक्कर में फंस जाते हैं। ये लोग अनजाने में नही फंसते हैं, बल्कि स्वेक्षा से जान बूझकर फंसते हैं। कभी ज्यादा पैसे की जरूरत पड़ने पर ये सेठ साहूकारों के चक्कर में फंस जाते हैं। जैसे बेटी की शादी ,या घर में किसी की बीमारी आदि में। इस परिस्थिति में मोटे पैसे की जरूरत पड़ती है,जो इनके पास होता नहीं है। तो ये सेठ साहूकारों के पास जाकर पैसे ले लेते है। इन्हे साहूकार सूद पर पैसे देता है। सूद भी कोई छोटा मोटा नहीं होता है। चार से पांच परसेंट महीने का सूद पर ये पैसा ले लेते हैं। ये अपना काम तो कर लेते हैं। लेकिन दिन बीतने के साथ पैसे का इंट्रेस्ट बढ़ता जाता है। अगर पैसा किसी भी तरह ये देना चाहें तो मूलधन से ज्यादा सूद का ही पैसा इन्हें देना पड़ता है। कभी कभी तो दोगुना या तिगुना पैसा देना पड़ जाता है। अगर पैसा पास नही हो तो उस पैसे को देने के लिए इन्हें जमीन बेचना पड़ता है। कई बार तो उसी साहूकार को जमीन देना पड़ता है जिससे वे पैसा लिए होतहैं।
नशे के आदि लोग
नशे के आदि लोग भी उधार पैसे मांगते है। ये लोग तो कमाते हैं नही । लोगों से झूठ बोलकर उधार पैसा मानते हैं और नशा करते है। एक बार एक व्यक्ति मेरे पास आया और अपने बच्चे को डॉक्टर से दिखने के लिए एक हजार रूपया मांगा। दूसरे दिन ही देने का वादा किया। मैने उसे पैसा दे दिया। कई दिनों तक वह पैसा वापस नहीं किया। जब उसे ढूंढ कर मैने पैसा मांगा तो वह बहाने बनाने लगा।अभी पैसा नहीं है जब होगा तब दे देंगे। बाद में मुझे पता चला की वह बहुत लोगों से बच्चे की बीमारी का बहाना बनाकर पैसा लेता है और दारू पी जाता है। किसी को पैसा वापस नही देता है।
इस टाइप के लोगों की उधार मांगने की आदत पड़ जाती है। उन्हें आप कितना भी जलील करे इनपर कोई फर्क नहीं पड़ता है। आगे चलकर ये अव्वल टाइप के बेशर्म हो जाते हैं।
इतना जानने के बाद अब आपके लिए ये जानना जरूरी है की किसी से उधार पैसा लेने के क्या नुकसान है।
उधार पैसा लेने के नुकसान
1.उधार पैसा मांगने वालों का समाज में मान प्रतिष्ठा नही रहता है।
2.उधार पैसा मांगने वाले व्यक्ति से उसके रिलेटिव और मित्र मिलना पसंद नही करते है।
3.उधार पैसा लेने वाले से कभी कभी देने वाला बुरा बरताव भी कर सकता है।
4.उधार पैसा लेने वाले को मुंह छुपाकर जीना पड़ता है।
इतना नुकसान जानने के बाद क्या करें की उधार पैसा किसी से मांगना न पड़े।
इन बातों पर ध्यान रखें
1.जितना हो सके उधार लेने से बचना चाहिए।
2.जितनी क्षमता हो उतना में ही गुजारा करना चाहिए।
3. अगर उधार लेना ही पड़े तो उतना ही ले जितना आप आसानी से और समय से दे सकें।
4. सेठ साहूकार से उधर या सूद पर कर्ज नहीं लेना चाहिए।
5. आत्म सम्मान के साथ जीने का प्रयास करना चाहिए।
6. अपनी मजबूरी किसी को भी नही बताना चाहिये।
7. अपनी गरीबी दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
8. अपने मन में संकल्प लेना चाहिए की मैं किसी से उधार नहीं लूंगा।
9. लेने वाला नही, देने वाला बनने का प्रयास करना चाहिए।
10. जब आप देनेवाला बन जायेंगे तो कितनी भी मजबूरी होगी लेने के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ेगा।
इन बातों पर अमल किया जाय तो समाज में ,रिलेटिव के बीच,मित्रों के साथ, सिर उठा कर मान सम्मान के साथ जिया जा सकता है। और सबका चहेता बना जा सकता है।
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