क्या आप भी बिन बुलाए मेहमान होते है? Kya aap bhi bin bulaye mehman hote hain?

 बिन बुलाए मेहमान का मतलब

मेहमान का मतलब अतिथि। जिसके आने की कोई तिथि न हो। इस हिसाब से तो सभी लोग जो किसी के यहां मेहमान बन कर जाते हैं , वे बिन बुलाए मेहमान ही हुवे।

   तो फिर बिन बुलाए मेहमान वाली कहावत का क्या मतलब? ये कैसे प्रचलित हो गया? मेरे ख्याल से शायद वैसे मेहमान जो आपको पसंद नही हो वे बिन बुलाए मेहमान हो सकते है,या फिर वैसे मेहमान जो बिना मतलब आपके यहां हमेशा आते रहते हो वह बिन बुलाए मेहमान की श्रेणी में हो सकते है। एक बिन बुलाए मेहमान वह भी हो सकते हैं जिनका आपसे कोई रिश्ता नहीं होता है और जबरजस्ती का रिश्ता जोड़कर आपके यहां आते हो।

   अतिथि देवो भव। अपने यहां अतिथि देवता होता है।हमलोग अतिथियों का बहुत सम्मान करते है। आइए देखते हैं कैसे कैसे मेहमान हो सकते है?


अनजान मेहमान

अनजान मेहमान की श्रेणी में वैसे मेहमान होते है जिनका आपसे डायरेक्ट परिचय नही होता है। लेकिन वे मेहमान बहुत ही खास होते है। जैसे लड़के कि शादी या लड़की की शादी का रिश्ता लेकर आनेवाले मेहमान। ये मेहमान किसी मिडिएटर के माध्यम से आते है। आपका कोई परिचित रिश्तेदार या दोस्त मिडियेटर होता है। वह उन लोगों को लेकर आता है। ऐसे मेहमान के घर आने पर उत्सव जैसा माहौल होता है। जितनी भी खातिरदारी कर दिया जाय कम ही होता है। क्योंकि उनके नजर में अच्छा इमेज नही बना तो लड़के या लड़की की शादी वे आपके यहां नही करेंगे। ऐसे मेहमान का लोग पलक पावड़ा बिछा कर इंतजार करते हैं।

पत्नी के रिश्तेदार

     ये मेहमान पत्नी के रिश्तेदार होते हैं। जिनमें पत्नी के मां,पिताजी भाई और भाई की पत्नी,बहन बहनोई होते हैं। इनकी खातिरदारी भी कम नहीं होती है। अगर इन मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी हो गई हो फिर आपकी खैर नहीं। ये मेहमान कुछ दिनों तक रुक भी जाते हैं तो कोई परेशानी नहीं होती है। अगर जाना चाहें तो इनसे रिक्वेस्ट किया जाता है की इतनी जल्दी क्या है? कुछ दिन और रहिए ना। ये मेहमान भी जब तक घर में होते है,खुशी का माहौल होता है। इन्हे किसी तरह की परेशानी न हो इसका खास ख्याल रखा जाता है।

मां के रिश्तेदार

     ये मेहमान माताजी के रिश्तेदार होते है। जैसे नाना,मामा, मामी,आदि। ये मेहमान भी अच्छा खासा रिस्पेक्ट पाते है। लेकिन समय के साथ इन रिश्तों की गर्माहट कम होती जाती है। वैसे जब ये रिश्ता बहुत पुराना पड़ जाता है तो इन मेहमानों का आना कम हो जाता है। तब वे किसी शादी व्याह या किसी फंग्सन में ही आते हैं और आशीर्वाद दे कर चले जाते हैं।

आपके रिश्तेदार

    ये मेहमान आपकी बेटी,दामाद उनके मां पिताजी यानी आपके समधी समधन होते हैं। दामाद के भाई और बहन भी होते है। ये मेहमान तो देवता तुल्य होते हैं। बेटियां तो आपके घर की होती हैं। आपकी अपनी हैं। लेकिन शादी होने के बाद वह अपने घर की जिम्मेदारियों में फंस जाती है इसलिए बेटी भी मेहमान की तरह ही होती है। वैसे शादी के पहले भी कहा जाता है की बेटियां तो मेहमान होती है। बेटी दामाद घर के सबसे महत्वपूर्ण मेहमान होते हैं। इनके साथ साथ समधी समधन भी बहुत महत्वपूर्ण मेहमान की श्रेणी में आते हैं। बेटी से संबंधित उसके ननद नंदोई और देवर की भी खतीरदारी खूब होती है। इनके होने से भी घर में खुशी का माहौल रहता है। इन मेहमानों से भी कुछ दिन और रुकने का आग्रह किया जाता है।

गांव के पड़ोसी और पहचान वाले

    ये मेहमान तो नहीं होते है। इनसे रोज मिलना जुलना होता है रोज दुआ सलाम होता है। लेकिन ये भी कभी मेहमान बन जाते है। कब? जब आप किसी शहर में रहते है और किसी काम के शिलशिले में वे परिचित शहर आ जाते है। ये मेहमान थोड़ा कष्टदाई हो जाते है। इनको देख कर कहना पड़ता है की कैसे आना हुआ? बस यही संबोधन साबित कर देता है की उनका आना उत्साह जनक नहीं है।अगर दो तीन दिन उनका रहना हो गया तो बस पता चल जाता है की अब उनका जाना जरूरी है। क्योंकि कभी मेजबान को काम पर जाने की जल्दी होती है। उधर से लेट से आने की मजबूरी। तो कभी पत्नी की तबियत खराब रहती है तो कभी सबका कहीं जाना जरूरी।

जबरदस्ती के मेहमान

   ये मेहमान बहुत ही प्रशंसनीय होता है। क्योंकि इसपर आपका कोई भी अस्त्र नही चलता है। उल्टे ये अपना अस्त्र आप पर चलते रहता है। ये मेहमान कोई न कोई रिश्ता जोड़कर आपके यहां पहुंच जाते है। इनका आपसे कोई भी डायरेक्ट रिश्तेदारी नहीं होता है। फिरभी ये अपने आप को आपके बहुत खास बताते हैं। इतना ही नहीं आते ही फरमाइशकर देते हैं आज चिकन लिट्टी खाने लायक मौसम है। अब नहीं चाहते हुवे भी आपको चिकन बनवाना पड़ेगा।

बच्चो को भी परेशान करेंगे" बेटा जरा एक ग्लास पानी लाना" । पानी का ग्लास हाथ में पकड़ने के बाद दूसरा फरमाइस " बेटा जरा चीनी लाना "। जैसे ही चीनी आया " बेटा एक चुटकी नमक लाओ "। मेहमान जी अब प्रेम से घोल बनाएंगे। और पीने के बाद बोलेंगे की " चीनी नमक का घोल पेट के लिए बहुत अच्छा होता है "।

       आप चाहेंगे की वे जल्दी आपके घर से चलें जाए तो ऐसा भी नहीं होगा। आप कितना भी रूखा व्यवहार उनके साथ करें, उनपर कोई असर नहीं होता है। इसी कड़ी में एक मेहमान का जिक्र करना बहुत जरूरी है।

      शाम के चार बजे होंगे गर्मी का दिन था एक मेहमान हमारे यहां आ गए। नाश्ते पानी के बाद वे जाने के लिए तैयार हुवे ये कहते हुवे की आज उनका जन्म दिन है घर जाना बहुत ज़रूरी है। घर पे लोग इंतजार कर रहे होंगे। फिर खुद ही बैठकर लंबी बातें करने लगे। फिर बोले चल रहा हूं आज मेरा जन्म दिन है। फिर बैठ कर बातें करने लगते। इसी तरह करते करते रात के 9 बज गए। लेकिन वे महाशय नहीं गए। 9 बजे वे मेरी पत्नी से बोले भाभीजी अब रात काफी हो गई,आप बस खीर पूड़ी और सब्जी बनाइए हम यहीं जन्म दिन माना लेते है। वे महाशय खीर पूड़ी बनवाए गली मुहल्ले के दुकान से एक रेडीमेंट केक मंगवाए। कुछ बैलून और एक चाकू मंगाकर हमारे यहां ही केक कटकर जन्म दिन मनाए। जबरदस्ती हमलोगो को हैप्पी बर्थ डे टू यू बोलना पड़ा। खीर पूड़ी खाकर सो गए। मेरे समझ में ये नहीं आया की जो बंदा आने के साथ ही जाने के लिए परेशान था। किसी ने रोका भी नहीं तो वो अपने घर गया क्यों नहीं? उसके घर के लोग उसका इंतजार कर रहे थे वे जन्म दिन मानने की तैयारी किए थे,तो उनकी तैयारी का क्या हुआ? ये आज भी मेरे लिए एक पहेली से कम नहीं है।

 ये तो मेहमान की बात हुई। कभी कभी मेजबान भी अनोखे मिल जाते हैं उनका जिक्र करना भी यहां जरूरी है।

और खायेंगे

 एक बार मैं और मेरा एक चचेरा भाई एक दूसरे चाचा की लड़की के यहां चले गए। वो भी हमलोगोगों की चचेरी बहन हुई। कई बार फोन पर वह कहते रहती थी की कभी हमारे यहां आइए। जाने के बाद बहुत ही प्रेम से हमलोगों से वह मिली। रात में खाना बना। हमलोग खाने बैठे। अच्छा खाना था। लेकिन शहर का सिस्टम वो तवे पर से एक एक रोटी पतली पतली कागज जैसी बना कर देती जा रही थी। हमलोग खाते जा रहें थे। तीन चार रोटी देने के बाद बोली और लीजिएगा। मेरे साथ मेरा चचेरा भाई था कुछ नहीं बोला। एक दो पतली रोटी देने के बाद फिर बोली और खायेंगे। हमलोग बोले "नहीं हो गया।" कोई क्या कहता? खाना खा कर हमलोग उठ गए। थोड़ी देर बाद मेरा चचेरा भाई बाहर निकल कर बोला भैया पेट नहीं भरा अभी भी भूख बाकी है। मैं समझ सकता था। असल में गांव का रहने वाला भाई खूब मेहनत करता था। और मोटी मोटी दस पंद्रह रोटी दबा कर खाता था। भला पतली पतली पांच छः रोटी से उसका पेट क्या भरता? फिर हमलोग टहलने के बहाने बाहर निकलें और होटल में जाकर खाना खाए और उसके घर आकर सो गए।

    इस तरह मेहमान के कारण मेजबान संकट में पड़ जाता है,तो कभी मेजबान के कारण मेहमान भी संकट में पड़ जाते हैं।

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