Kya aapka bachha bhi darta hai | Ho sakta hai penic attack |

आज मैं एक ऐसी घटना का जिक्र करने जा रहा हूं जिसको सभी माता पिता को जानना और समझना जरूरी है। कभी कभी बच्चे के स्वभाव में परिवर्तन होता है और माता पिता उसपर ध्यान नहीं देते है। ऐसा करना बहुत बड़ी समस्या का कारण भी बन सकता है। एक ऐसी ही घटना हमारे सामने आया है इसलिए मैं आपको बताने जा रहा हूं।


बच्चे का डरना

मेरे एक मित्र ने मुझे बताया की उनका लड़का दो दिनों से कुछ ठीक नहीं है। उन्होंने बताया की वह ठीक से खा नही रहा है। बहुत डरा डरा सा रहता है। कोचिंग में पढ़ने वाले लड़के बता रहे है की कोचिंग में जाता है लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर निकल जाता है। पहले अपने बहनों से लड़ता था झगड़ता था लेकिन अब ठीक से बात भी नही करता है। कही अकेला रहता है गुम सूम और उदास। उन्होंने बताया की एक दिन शाम को मैंने उसे बाजार भेज दिया ताकि उसका मन बहले। जब अंधेरा होने के बाद भी वह नही आया तो उसे फोन किया। वह फोन पर बोला की उसे घर आने का मन नहीं कर रहा है। मेरे मित्र काफी परेशान थे। परेशानी की बात भी थी। वे अपनी समस्या बता कर चले गए। दूसरे दिन फिर आए।

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दूसरे दिन उन्होंने बताया

दूसरे दिन भी वे काफी परेशान दिखे। उन्होंने बताया की लड़के से बहुत पूछने पर भी वह कुछ बता नही रहा है। आज मैं उसे ज्यादा जोर देकर पूछा तो वह रोने लगा। मैने पूछा की क्या रात में ठीक से सो रहा है। उनका कहना था की जब से ये प्रोब्लम हुआ है तब से ठीक से नहीं सो रहा है। रात में काफी डर रहा है और अपनी मां की गोद में उसे जकड़ कर सो रहा है।

मेरा उस लड़के से मिलना अब जरूरी हो गया था। मैं उस लड़के से मिलने उसके घर पहुंचा।

एक उदास और डरा हुआ लड़का

मैंने देखा उसका चेहरा काफी उदास लग रहा था। वह बेहद घबड़ाया हुआ था आंखों में भय दिख रहा था।वह 19 साल का युवा लड़का था। हमलोगों ने अकेले में दोस्ताना अंदाज में बात किया। मैने उसके दिमाग में पॉजिटिव सोच और पॉजिटिव ऊर्जा भरने की कोशिश की। उसे काफी आराम मिला और कुछ हद तक उसका भय कम हुआ। वह अपनी बीमारी शुरू होने के बारे में बताया।

सांप कटने का डर

जिस दिन पहली बार उसे घबडाहट हुई उस दिन सुबह वह एक सांप देखा था जो उसके पैर के बगल से गुजर गया था। शाम को उसने अपने पैर पर एक चोट देखा जहां से खून निकला था। और शाम को ही वह काफी डर गया की कही उसे सांप ने काट तो नही लिया है। इसी भय से वह पसीने पसीने हो गया घबड़ाहट उसकी बढ़ गई । उसे लगा की उसको कुछ हो जायेगा। बुरे बूरे विचार उसके मन में आने लगे। एक दो दिनों के बाद उसका एक मरा हुआ मित्र उसके ख्यालों में आने लगा। वह लड़का मुझे बताया की ऐसा लग रहा है की मेरे मित्र की तरह मैं भी मर जाऊंगा।

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घबड़ाहट

उस लड़के ने बताया की जब बूरे बूरे विचार आते है। घबड़ाहट होने लगती है। वह पसीने से लथपथ हो जाता है। सर में दर्द होने लगता है। समझ में नहीं आता है की कहां जाऊं क्या करू? कही मन नहीं लगता है। भूख नहीं लगती है। किसी से बात करने का भी मन नहीं करता है। मन में अजीब तरह की बेचैनी होने लगती है। दिल की धड़कन बढ़ जाती है। कुछ हो जायेगा ऐसा डर सताने लगता है। मैने देखा की वह लड़का बहुत ही बूरे दौर से गुजर रहा था।

डॉक्टर की सलाह

जब उस लड़के की परेशानी खत्म नहीं हुई तो उसे एक अच्छे न्यूरो साइक्लोजिस्ट से दिखाने का फैसला किया गया। डॉक्टर ने अच्छी तरह एग्जामिन करने के बाद बताया की इस बीमारी को पेनिक अटैक कहते है। उन्होंने दवा दिया। उनके ट्रीटमेंट से वह लड़का कुछ दिनों के बाद पूरी तरह ठीक हो गया।

सलाह

ये पोस्ट लिखने का मकसद यह है की आप बच्चों के प्रति कभी भी उदासीन नहीं रहें। हमेशा उसके व्यवहार और रहन सहन पर बारीकी से नजर रखें। अगर वह नही भी बताता है तब भी बच्चे का व्यवहार चेंज होने पर उससे बात करना चाहिए। उसके समस्याओं को समझने का प्रयास करना चाहिए। बहुत से लोग ओझा सोखा के पास जाकर झाड़ फूंक करते है। ये नही करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर किसी अच्छे डॉक्टर से ही दिखाना चाहिए। एक बच्चे की अच्छी देख भाल उसके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही जरूरी होता है।

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